Thursday, November 30, 2023

सलीम रज़ा के शे’र

 

शे’र 


सब ख्वाहिशें लपेट के पेटी में रख दिया

उम्मीद जो बची थी वो खूँटी में टाँग दी

………………14/02/24………..……


फिर ख़्वाहिशों ने सर को उठाया नहीं कभी

मजबूरियों को ऐसे ठिकाने लगा दिया 

………………10/02/24………..……


ख़ुशियों से कह दो शोर मचाएँ न इस-क़दर

मेरे ग़मों को  नीद लगी है अभी-अभी

ُخوشیوں سے کہہ دو شور مچائیں نہ اِس قدر

میرے غموں  کو نید لگی ہے ابھی ابھی

………………23/01/24………..……


ख़ून की हैसियत नहीं कुछ भी

जब तलक जिस्म में नहीं दौड़े

خون کی حَیثیت نہیں کُچھ بھی

جب تلک جِسم میں نہیں دوڑے

………………20/01/24………..……


ख़ुद को इतना मैं गुदगुदाता हूँ

फिर भी मुझ को हँसी नही आती

خُود کو اِتنا میں گُدگُتاتا ہوں

پِھر بھی مُجھ کو ہَنسی نہیں آتی

………………19/01/24………..……


जब लफ़्ज़ों की चादर तान के सोता हूँ

शेर मेरे आज़ू-बाज़ू सो जाते हैं

جب لفظوں کی چادر  تان کے سوتا ہوں

شعر  میرے  آزو  بازو  سو جاتے  ہیں

………………18/01/24………..……


मुझकॊ मेरे ख़्यालों के पर काटने पड़े

उसकी उड़ान थी मेरी औक़ात से सिवा


आज भी उनकी अदाओं में वही है शोख़ियाँ

आज भी तकते हैं रस्ता शहर के पागल बहुत

آج بھی انکی اداؤں میں وہی ہے شوخیاں

آج بھی تکتے ہیں رستہ شہر کے پاگل بہت 

उनकी ख़ुशबू से ख़ुशबू है गुलशन के सब फूलों में

उनको छूकर आने वाली पुरवाई मुस्काती है

اُنکی خوشبو سے خوشبو ہے گالشن کے  سب پھولوں مین

اُنکو  چھوکر  آنے  والی  پُروائی  مُسکاتی ہے 


ऐ 'रज़ा' कुछ लड़कियाँ जो घर की ज़ीनत थीं कभी

रौनक़-ए-बाज़ार होती जा रही हैं आज कल

اے رضاؔ کچھ لڑکیاں جو گھر کی زِینت تھیں کبھی 

رونقِ   بازار   ہوتی  جا  رہی   ہیں آج  کل

ज़ाहिद ये मय-कदा है ग़म-ए-इश्क़ की दवा

क्यूँ कह रहा है छोड़ दे मरने से पहले तू

زاہد یہ مے قدہ ہے  غم۔ عشق  کی  دوا 

کیوں کہ رہا ہے چھوڑ دے مرنے سے پہلے تو  


कोशिश तो की भँवर ने डुबोने की बारहा

हम कश्ती-ए-हयात बचाते चले  गए

کوشش تو کی بھانور نے ڈُبونے کی بارہا 

ہم کشتی حیات بچاتے چلے گئے      

जो  ज़ख़्म खाके भी रहा है आपका सदा

उस दिल पे फिर से आपने ख़ंजर चला दिया

——————-❗️ ——————-

🔸01

अब तलक इन ज़'ईफ़ आँखों में

सिर्फ़  तेरा  बदन चमकता है

اب تلک اِن ضعیف آنکھوں میں 

صرف تیرا بدن چمکتا ہے


🔸02

अंधेरे भागते हैं दुम दबाकर 

उजालों से जो मैंने दोस्ती की

اندھیرے بھاگتے ہیں دُم دباکر 

اُجالوں سے جو مَینے دوستی کی


🔸05

जिनके खिलने से दुनिया का हर गुलशन आबाद हुआ

उन कलिओं की ख़ुशी सजाकर शहनाई मुस्काती है

جسکے کھِلنے سے  دُنیا  کا  ہر گلشن  آباد  ہوا

ان کلیوم کی خوشی سجاکر شہنائی مسکتی ہے


🔸06

मैं मनाऊँ तो भला  कैसे मनाऊँ उसको

मेरा महबूब तो बच्चो सा मचल जाता है

میں مناؤں تو بھلا کَیسے مناؤں اُسکو

میرا محبوب تو بچھوں سا مچل جاتا ہے


🔸07

एक दफ़ा ख़्वाब में वो क्या आया

घर मेरा अब तलक महकता है

ایک دفعہ خواب مین وہ کیا آیا 

گھر میرا اب تلک مہکتا ہے


🔸08

कितने अल्फाज़ मचलते हैं सँवरने के लिए

जब ख़्यालों में कोई  शेर उभर आता है  

کِتنے الفاظ مچلتے ہیں سنورنے کے لئے

جب خیالوں میں اِک شعر اُبھر آتا ہے


🔸11

यूसुफ़ न बन सका कभी तेरी निगाह में

लेकिन तुझे तो मैंने ज़ुलेख़ा बना दिया

 یُوسُف نہ بن سکا کبھی تیری نگاہ میں

  لیکن تجھے تو میں نے  زُلیخا  بنا  دِیا


🔸12

बिन तेरे रात गुज़र जाए बड़ी मुश्किल है

और फिर याद भी न आए बड़ी मुश्किल है


🔸13

दिल की बातें वो  ऐसे पढ़  लेता है

दिल न हुआ जैसे कोई अख़बार हुआ

دِل کی باتیں وہ ایسے پڑھ لیتا ہے 

دِل نہ ہوا جیسے کوئی اخبار ہوا 


🔸14

जिसकी ख़ुशबू से महक जाए ये दुनिया सारी

फूल ऐसा कोई गुलशन में खिलाना होगा


🔸15

ये और बात है कि वो मिलते नहीं मगर

किसने कहा कि उनसे मेरी दोस्ती नहीं

یہ اور بات ہے کہ وہ ملتے نہیں منگر

کِسنے کہا  کِ اُنسے  میری دوستی نہیں


🔸16

अब तो बदन में पहली सी ताक़त नहीं रही

लज़्ज़त मगर वही है सुख़न में अभी तलक

اب تو بدن میں پہلی سی طاقت نہیں رہی

لذّت مگر وہی ہے سُخن میں ابھی تلک


🔸18

तू कहे तो मैं खुरच डालूँ बदन को लेकिन

तेरी ख़ुश्बू को मैं साँसों से मिटाऊँ कैसे


19🔸

माँ ने जो खिलाई थीं अपने प्यारे हाथों से 

ज़ेहन में अभी तक वो रोटियाँ महकती हैं 

ماں نے جو کھلائی تھیں اپنے پیارے ہاتھوں سے 

ذہن میں ابھی تک وہ روٹیاں مہکتی ہیں 


🔸20

ख़ुशियाँ मुझको ढूँढ रही हैं गलियों में

पर ग़म हैं की घेरे - घेरे फिरते हैं

خوشیاں مجھکو ڈھونڈ رہی ہیں گلیوں میں

پر غم ہیں کی گھیرے گھیرے پِھرتے ہیں


🔹 21

मेरा महबूब जब संवरता है

हुस्न रह रह के हाथ मलता है

میرا محبوب جب سنو رتا ہے 

حُسن رہ رہ کے  ہاتھ ملتا ہے 


🔹 22

तुम्हारे प्यार की ख़ुश्बू हमेशा साथ रहती है

तुम्हारी याद के लश्कर कभी तन्हा नहीं करते

  تمہارے  پیار  کی خوشبو ہمیشہ ساتھ رہتی ہے   

          تمہاری یاد کے لشکر کبھی تنہا نہیں کرتے


🔹 23

धूप में साया हो जैसे  छाँव का

काकुल-ए-जानाँ में यूँ आराम है

دھوپ میں سایا ہو جیسے چھا ؤں کا 

کاکلِ جانا ں میں یوں آرام ہے


🔹 24
अब भी है रग-रग में क़ाएम प्यार की ख़ुश्बू रज़ा
क्या हुआ जो  ज़िस्म  के  कपड़े पुराने हो  गए

اب بھی ہے رَگ رَگ میں قائم پیار کی خوشبو رضٓا 

کیا ہوا جو جِسم کے کپڑے پُرانے ہو گئے


🔹 25

जब उठा लेती है माँ हाथ दुआओं के लिए

रास्ते से मेरे तूफ़ान भी हट जाता है

جب اُٹھا لیتی ہے ماں ہاتھ دعاؤں کے لئے

راستے سے میرے طوفان بھی ہٹ جاتا ہے


🔹 26

तेरे दम से है मोहब्बत का वुजूद

तू नहीं तो ज़िंदगी बी-रंग है 


 27 🔹

नाम ले ले के तेरा लोग हंसेगें मुझ पर

मेरी चाहत की सनम लाज बचाने आजा


🔹29

फिर मैं सजदा करते करते आऊंगा 

अपने दर पर मुझको कभी बुलाएं तो


🔹32

फूल सा बदन तेरा इस क़दर मोअ'त्तर है 

ख़्वाब में भी छू लूँ तो उँगलियाँ महकती हैं 

                  پھول سا  بدن   تیرا  اس  قدر معطر  ہے 

              خواب میں بھی چھو لوں تو انگلیاں مہکتی ہیں


🔹33

अच्छा किया जो छोड़ दिया साथ हमारा

कब तक सम्भालते ये दिले बेक़रार को

اچھّا  کیا جو چھوڑ دِیا  ساتھ ہمارا

کب تک سنبھلتے یہ دلِ بیقرار کو


🔹34

दिल में बसा लिया है जब से तुम्हारी सूरत

तब से सिवा तुम्हारे भाता नहीं है कोई


🔹35

मैं ख़ुद  गुनाहगार  हूँ अपनी  निगाह  में

उसके ख़ुलूस-ओ-प्यार में कोई कमी नहीं

میں خُود گُنہگار ہوں اپن نگاہ میں

اسکے خُلوص و   پیار میں کوئی کمیں نہیں 


36🔹

रौनक़ें नही जातीं मेरे घर के आँगन से

दिल अगर नहीं बंटता, घर बंटा नहीं होता

رونقیں  نہی جاتیں میرے گھر کے آنگن سے

دِل  اگر نہیں  بنٹتا  گھر  بنتا   نہیں   ہوتا


🔹37

ज़िंदगी तू कब तक नचायेगी 

कस लिया है मैंने घुँघरू पाँव में

………………10/02/24………..……


❇️41

मेरे मौला लाज रख लेना  मेरी

मेरी बिटिया अब सियानी हो गई


❇️42

ये चाँद सितारे ये ज़मी फूल ये  खुशबू
हर चीज़ बनी है मेरे सरकार के सदक़े


❇️43

जहाँ से कर गए हिजरत मोहब्बत के सभी जुगनू

 वहां पर छोड़ देती हैं  ये खुशियाँ आना जाना भी

جہاں سے کر گئے ہجرت محبت کے سبھی جگنو

وہاں پر چھوڑ دیتی ہیں یہ خوشیاں آنا جانا بھی


❇️44

मेरा ख़ुलूस मेरी मोहब्बत  को  देखकर

जुड्ते  गये हैं आके  मेरे कारवाँ  से लोग


❇️45

यही ख़ुदा से दुआ माँगता हूँ रातो दिन

कि मै भी जी लूँ ज़माने में आदमी तरह


❇️46

आएगा मुश्क़िलों में भी जीने का फ़न तुझे

कूछ दिन गुज़ार ले तू मेरी ज़िन्दगी के साथ

آئیگا مشکلوں میں بھی جینے کا فن تجھے 

کچھ دن گزار لیے تو میری زندگی کے ساتھ     


❇️48

आईना देख के वो मुस्कुरा के कहते हैं

ऐसी सूरत भी भला तुमने कहीं देखी है

آئینہ  دیکھ کر وہ مسکرا کے کہتے پین 

 اسی صورت  بھی بھلا تمنے کہین دیکھی ہے


❇️50

टूटा-फूटा गिरा-पड़ा कुछ तंग सही

अपना घर तो अपना ही घर होता है


❇️52

जब तिरी दीद को हम शहर में तेरे पहुँचें

अपने दामन से न लिपटा कोई इल्ज़ाम रहे


❇️54
सच का साथ भला कैसे दे पाएगा 

एहसानों के तले अगर दब जाएगा


❇️55

रिज़्क मे उसके बरकत हरदम होती है

जिसके घर में आते हैं मेहमान सदा


❇️56

जिसे मुश्किल में जीने का हुनर पर्फेक्ट होता है

मसाइब के अंधेरों से वही रिफ्लेक्ट होता है


❇️57

बिना पिए तो सुना है उदास रिंदों को

मियाँ जी आप तो पी कर उदास बैठे हैं

بنا پے تو سنا ہے اداس رندوں کو 

میاں جی آپ تو پیکر اداس بیٹھے ہیں


❇️58

कश्ती को डूबने से बचाया बहुत मगर

हो जाएँ गर ख़िलाफ़ हवाएँ तो क्या करें


❇️59

सारे ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो 

गीत ख़ुशियों के हर वक़्त गाते रहो


❇️60

उस घर पे बलाओं का असर हो नहीं सकता

जिस घर में हो क़ुरआन के पारों की तिलावत


❣️61

क़दम मिला के ज़माने के साथ साथ चलो

भुला के तर्क-ए-मोहब्बत मिला के हाथ चलो

قدم ملا کے زمانے  کے ساتھ ساتھ چلو 

بھلا کے ترک محببت ملا کے ہاتھ چلو 


❣️62

छोड़ कर मुझको अगर दूर तुम गए तो फिर

हम ख़यालों में तेरे छुट्टियाँ मनाएँगे

چھوڑ کر مجھکو اگر  دور تم گئے تو فِر 

ہم خیالوں  میں  تیرے چھٹیاں منائینگے


❣️63

उनके एल्बम में है तस्वीर पुरानी  मेरी

अब वो देखेंगे तो पहचान नहीं पाएँगे 

             ان کے البم میں ہے تصویر پرانی میری

         اب وہ دیکھیں گے تو پہچان نہیں پائیں گے


❣️64

ख़यालों में महकती है मुसलसल प्यार की ख़ुशबू

तेरी यादों के लश्कर ने कभी तन्हा नहीं छोड़ा

………………17/01/24………..……


❣️66

आया है जब से नाम तुम्‍हारा ज़बान पर

होटों ने फिर किसी का भी चर्चा नहीं किया

آیا ہے جب سے نام تمہارا  زباں پر 

ہونٹوں نے  پِھر کِسی کا بھی چرچا نہیں کِیا


❣️67

उसकी हर-एक अदा पे तो क़ुर्बान जाइए        

मौसम को जिसने छू के नशीला बना दिया


❣️68

रोज़ मिलने की तसल्ली न दिया कर मुझको

जान ले लेगा किसी रोज़ बहाना तेरा


❣️69

भले ख़ामोश हैं ये लब तुम्हारे

मगर आँखे बहुत कुछ बोलती हैं


❣️70

उनको खो देने का तब अहसास हुआ

रंग-ए-हिना जब देखा उनके हाथों में  

انکو کھو دینے  کا  تب اہساس ہوا

رنگِ حنا جب   دیکھا انکے ہاتھو  مین


❣️71

जनाब-ए-‘मीर’ के लहजे की नाज़ुकी कि तरह

तुम्हारे लब हैं गुलाबों की पंखुड़ी की तरह


❣️73

चंद दिन के फ़ासले के बाद हम जब भी मिले

यूँ लगा जैसे  मिले  हमको ज़माने  हो गए 


❣️74

लगता है कुछ ख़ुलूस-ओ-मोहब्बत मे है कमी

क्यूं उठ के जा रहे हैं बता दरमियाँ से लोग


❣️77
दूर हो जाती है दिनभर की थकन पल भर में

जब मेरा लख़्त-ए-जिगर आके लिपट जाता है

دور ہو جاتی ہے  دِنبھر کی تھکن پل بھر مین

جبل میرا لختِ جگر آکے لپٹ جاتا ہے


❣️78

नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ

दिल में उतर  गया वो बड़ी सादगी के साथ

ناز و ادا کے  ساتہ  کبہی بے ر خی کے ساتھ

دلِ مین اتر گیا وہ بڈی سادگی کے ساتھ   


❣️79

छूके दरिचा लौट गया मौसम-ए- बहार

लगता  है अब नसीब मे मेरे ख़ुशी नहीं


❣️80

आँखों को कुछ सुस्ताने की मोहलत दो

रस्ता तकते तकते  गर थक जाएँ तो







A 20 GAZLEN SALEEM RAZA REWA

  🅰️ 20 ग़ज़लें  01 मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन  1212 1122 1212 22 ——— ——— —— —— ———- हर एक शय से ज़ि...