हद से गुज़र गई हैं ख़ताएँ तो क्या करें
ऐसे में उनसे दूर ना जाएँ तो क्या करें
उस बे-वफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें
आँखों में तेरी डूब न जाएँ तो क्या करें
हो जाएं गर ख़िलाफ़ हवाएँ तो क्या करें
पीछा अगर न छोड़ें बलाएँ तो क्या करें
हद से गुज़र गई हैं ख़ताएँ तो क्या करें
ऐसे में उनसे दूर ना जाएँ तो क्या करें
उस बे-वफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें
आँखों में तेरी डूब न जाएँ तो क्या करें
हो जाएं गर ख़िलाफ़ हवाएँ तो क्या करें
पीछा अगर न छोड़ें बलाएँ तो क्या करें
🅰️ 20 ग़ज़लें 01 मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन 1212 1122 1212 22 ——— ——— —— —— ———- हर एक शय से ज़ि...