दर - दर फिरते लोगों को दर दे मौला
बंजारों को भी अपना
घर दे मौला
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जो औरों की खुशियों में खुश होते
हैं
उनका भी घर खुशियों से भर दे मौला
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दूर गगन में उड़ना चाहूँ चिड़ियों सा
मुझ को भी वो ताक़त वो पर दे मौला
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ज़ुल्मो सितम हो ख़त्म न हो दहशतगर्दी
अम्नो अमां की यूं बारिश कर दे मौला
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भूके प्यासे मुफ़लिस और यतीम हैं जो
नज़रे इनायत उन पर भी कर दे मौला
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जो करते हैं खून ख़राबा जुल्मो सितम
उन के भी दिल में थोडा
डर दे मौला
10.10.2015 सलीम रजा