मेरी तरह वो भी हिम्मत दिखलाएँ तो
खुल्लम-खुल्ला मुझ से मिलने आएँ तो
आँखों को कुछ सुस्ताने की मुहलत दो
रस्ता तकते तकते गर थक जाएँ तो
मन की प्यास रफू चक्कर हो जाएगी
आँखों के पनघट पे मिलने आएँ तो
फिर मैं सजदा करते करते आऊंगा
अपने दर पर मुझको कभी बुलाएँ तो
चाहत पे शबनम की बूंदें मल देना
प्यार की सांसें जिस दम मुरझा जाएँ तो
ख़्वाबों में आग़ाज़ मिलन का कर देंगे
मेल जोल पर पहरे लोग बिठाएँ तो
शाम से ही बैठे हैं जाम 'रज़ा' लेकर
यादें उनकी आ कर हमें सताएँ तो
खुल्लम-खुल्ला मुझ से मिलने आएँ तो
रस्ता तकते तकते गर थक जाएँ तो
आँखों के पनघट पे मिलने आएँ तो
अपने दर पर मुझको कभी बुलाएँ तो
प्यार की सांसें जिस दम मुरझा जाएँ तो
मेल जोल पर पहरे लोग बिठाएँ तो
यादें उनकी आ कर हमें सताएँ तो