हँस
दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए
वो
ज़ुल्फ़ जो लहराएँ मौसम में निखार आए
oo
मदहोश
हुआ दिल क्यूँ बेचैन है क्यूँ आँखें
रंगीन
ज़माना क्यूँ महकी हुई क्यूँ सांसें
हूँ
दूर मय-ख़ाने से फिर भी क्यूँ ख़ुमार आए
oo
बुलबुल में चहक तुम से फूलों में महक तुम से
तुम से ये बहारे हैं सूरज में चमक तुम से
रुख़्सार पे कलियों के तुम से ही निखार आए
oo
बस इतनी गुज़ारिश है बस इतनी सी चाहत है
जिन
जिन पे इनायत है जिन जिन से मोहब्बत है
उन
चाहने वालो में मेरा भी शुमार आए
oo
गुलशन में बहारों की इक सेज लगाया है
फूलों को सजाया है पलकों को बिछाया है
ऐ बाद-ए-सबा कह दे अब जाने बहार आए
oo
मिल
जाए कोई साथी हर ग़म को सुना
डालें
जीवन
के हर इक लम्हें खुशिओं से सजा डालें
बेचैन 'रज़ा' दिल है पल भर को
क़रार आए
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