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Thursday, November 9, 2023

जनाब-ए-‘मीर’ के लहजे की नाज़ुकी कि तरह Salim Raza rewa


जनाब-ए-‘मीर’ के लहजे की नाज़ुकी कि तरह

तुम्हारे लब हैं गुलाबों की पंखुड़ी की तरह

💕  

शगुफ़्ता चेहरा ये  ज़ुल्फ़ें ये नरगिसी आँखे 

तेरा हसीन तसव्वुर है शायरी की तरह 

💕

महक रहा है ज़माने का हर चमन जिनसे 

वो बेटियां हैं उन्हें खिलने दो कली की तरह

💕

तमाम उम्र समझता  रहा  जिन्हे अपना

गया जो वक़्त गए वो  भी अज़नबी की तरह

💕

 अगर ऐ जाने तमन्ना तू छत पे आ जाए 

अंधेरी रात भी चमकेगी चांदनी की तरह

💕

यूँ ही न बज़्म से तारीकियाँ हुईं ग़ायब

कोई न कोई तो आया है रोशनी की तरह

💕

यही ख़ुदा से दुआ मांगता हूँ रातो दिन

कि मै भी जी लूं ज़माने में आदमी तरह


جنابِ مٓیر کے لہجے کی نازوکی کی طرح 

تمہارے لب ہیں گلابوں کی پنکھڑی کی طرح

💕

شگفتہ چہرہ یہ زلفیں یہ نرگِسی آنکھیں

تیرا حسین تصوّر ہے شاعری کی طرح

💕

مہک رہا ہے زمانے کا ہر چین جنسی

وہ بیٹیاں ہیں اُنہیں کھِلنے دو کلی کی طرح

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تمام عمر سمجھتا رہا جسے اپنا

گیا جو وقت گئے وہ بھی اجنبی بنکر

💕

اگر اے جانے تمنا تو چھتیں آجائے

اندھیری رات بھی چمکے گی چاندنی کی طرف

💕

یوں ہی نہ بزم سے تاریکیاں ہوئی غائب

کوئی نہ کوئی تو آیا ہے روشنی کی طرح

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یہی خدا سے دعا مانگتا ہو رات و دن 

 ی لوں زمانے میں آدمی کی طرح کی میں بھی ج

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10.18 Shayar- salim raza rewa 

मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

1212 1122 1212 22/112

बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ

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नाज़ुकी-कोमलता, शगुफ़्ता-खिला हुआ, नरगिसी- नरगिस एक फूलजो आँखों की तरह होता है, तसव्वुर- ख़याल, तारीकियाँ- अंधेरा

A 20 GAZLEN SALEEM RAZA REWA

  🅰️ 20 ग़ज़लें  01 मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन  1212 1122 1212 22 ——— ——— —— —— ———- हर एक शय से ज़ि...