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Thursday, November 16, 2023

गुलशन में फूल तो है मगर ताज़गी नहीं 2 - सलीम रज़ा रीवा

गुलशन में जैसे फूल नहीं ताज़गी नहीं

तेरे बग़ैर  ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी  नहीं


ये और बात है कि वो मिलते नहीं मगर

किसने कहा कि उनसे मेरी दोस्ती नहीं

 

तेरे ही दम से खुशियां है घर बार में मेरे

होता जो तू नहीं तो ये होती ख़ुशी नहीं

 

ख़ून--जिगर से मैंने सवाँरी है हर ग़ज़ल

मेरेसुख़न  का  रंग कोई  काग़ज़ी नहीं

 

मैं खुद  गुनाहगार  हूँ अपनी  निगाह  में

उसके ख़ुलूस--इश्क़ में कोई कमी नहीं

 

छूके दरिचा लौट गया मौसम-बहार.

लगता  है अब नसीब मे मेरे खुशी नहीं.

 

तुझसे 'रज़ा' के शेरों में संदल सी है महक

मुमकिन  तेरे  बग़ैर  मेरी  शायरी  नहीं

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 ................... gazal by salim raza rew
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मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन




A 20 GAZLEN SALEEM RAZA REWA

  🅰️ 20 ग़ज़लें  01 मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन  1212 1122 1212 22 ——— ——— —— —— ———- हर एक शय से ज़ि...