01-
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
बहरे मज़ारिअ
मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़
——————————————–
हमने हरिक उम्मीद का पुतला जला
दिया
दुश्वारियों को पांव के नीचे
दबा दिया
रिश्ते वफ़ा के सब से निभाकर तो देखिए
सारे जहाँ को अपना बनाकर तो देखिए
नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के
साथ
दिल में उतर गया वो बड़ी सादगी
के साथ
——————————————–
02-
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
बहरे खफ़ीफ
मुसद्दस मख़बून
——————————————–
अपनी ज़ुल्फों को धो रही है शब
और ख़ुश्बू निचो रही है शब
मेरा महबूब जब संवरता है
हुस्न रह रह के हाथ मलता है
मेरा मज़हब
यही सिखाता है
सारी दुनिया
से मेरा नाता है
——————————————
03-
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
1222 1222 1222 1222
मुफ़ाईलुन
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
6——————————————–
जिसे हम प्यार करते हैं उसे रुसवा
नहीं करते
हमारे दरमियाँ क्या है कभी
चर्चा नहीं करते
ये दुनिया ख़ूबसूरत है ज़माना
ख़ूबसूरत है
मुहब्बत की नज़र से देखने की बस
जरुरत है
वतन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
अमन की बात करनी हो तो मेरे पास
आ जाओ
——————————————–
04-
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन
फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
बहरे रमल मुसम्मन
मख़बून महज़ूफ़
——————————————–
मेरे महबूब कभी मिलने मिलाने आजा
मेरी सोई हुई तक़दीर जगाने आजा
जगमगाती ये जबीं आरिज़-ए-गुलफा़म
रहे
तू जवानी का छलकता हुआ इक जाम
रहे
कोई रूठा है अगर उसको मनाना होगा
भूल कर शिकवे-गिले दिल से लगाना
होगा
——————————————–
05
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
बहरे रमल मुसद्दस
महज़ूफ़
——————————————–
ज़िन्दगी का फैसला हो जाएगा
तू सनम जिस दिन मेरा हो जाएगा
धूप का विस्तार लगाकर सो गए
छांव सिरहाने दबाकर सो गए
ज़िंदगी अब रात-रानी हो गई
जब से तेरी मेहरबानी हो गई
——————————————–
06
बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़
2122 2122 2122
212/22
फ़ाइलातुन
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
——————————————–
मुश्किलें भरमार होती जा रही हैं आज
कल
कोशिशे बेकार होती जा रही हैं
आज कल
मुश्क़िलों में दिल के भी रिश्ते
पुराने हो गए
ग़ैर से क्या हो गिला अपने
बेगाने हो गए
हार कर रुकना नहीं मंज़िल भले ही दूर है
ठोकरें खाकर सम्हलना वक़्त का दस्तूर है
——————————————–
07
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
212 212 212 212
फ़ाइलुन फ़ाइलुन
फ़ाइलुन फ़ाइलुन
——————————————–
मोतियों की तरह जगमगाते रहो
बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो
छोड़कर दर तेरा हम किधर जाएँगे
बिन तेरे आह भर-भर के मर जाएँगे
हमसफ़र तुम सा प्यारा मिले न मिले
साथ मुझको तुम्हारा
मिले न मिले
——————————————–
08
मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन
फ़ेलुन
1212 1122 1212 22/112
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
——————————————–
जनाबे मीर के लहजे की नाज़ुकी कि
तरह
तुम्हारे लब हैं गुलाबों की
पंखुड़ी की तरह
हर एक शय से ज़ियादा वो प्यार
करता है
तमाम खुशियाँ वो मुझपे निसार
करता है
हरेक ज़ुल्म गुनाह-ओ- ख़ता से
डरते हैं
जिन्हे है ख़ौफ़-ए-ख़ुदा वो ख़ुदा
से डरते हैं
——————————————–
09
फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन
मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222
बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर
मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम
——————————————–
जिस तरह से फूलों की डालियाँ
महकती हैं
मेरे घर के आंगन में बेटियां
महकती हैं
राह पर सदाक़त की गर चला नहीं होता
सच हमेशा कहने का हौसला नहीं होता
चाँद जैसे मुखड़े पे तिल जो काला
काला है
मेरे घर के आँगन में सुरमई
उजाला है
——————————————–
10
बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
1222 1222 122
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन,
——————————————–
बहारें कब लबों को खोलती हैं
बड़ी हसरत से कलियाँ देखती हैं
तमन्ना है संवर जाने से पहले
तुझे देखूँ निखर जाने से पहले
ख़राबी के नज़ारे उग रहे हैं
मुनाफ़े में ख़सारे उग रहे हैं
——————————————–
11
बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़
मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक मक़्सूर
221 2122 221 2122
मफ़ऊल फ़ाइलातुन
मफ़ऊल फ़ाइलातुन
——————————————–
हाथो में तेरे हमदम जादू नहीं तो
क्या है
मिट्टी को तू ने छूकर सोना बना
दिया है
मुझसे ऐ जान-ए-जानाँ क्या हो गई
ख़ता है
जो यक ब यक ही मुझसे तू हो गया ख़फ़ा
है
——————————————–
12
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल
मुफ़ाईलुन
221 1222 221 1222
बहरे हज़ज
मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
——————————————–
हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन
में बहार आए.
वो ज़ुल्फ़ जो लहराएँ मौसम में
निखार आए.
——————————————–
13
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122
बहरे मुतकारिब
मुसमन सालिम
——————————————–
फ़क़त तेरे नज़दीक आने से पहले
बहोत ग़म सहे मुस्कुराने से
पहले
——————————————–
14
बहरे हजज़ मुसमन अख़रब मक्फ़ूफ
मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ महज़ूफ़
221 1221 1221 122
मफ़ऊल मुफ़ाईल
मुफ़ाईल फ़ऊलुन
——————————————–
रुख़सार जहाँ में कोई ऐसा नही होगा
उनसे भी हसीं चाँद का चेहरा नही
होगा
——————————————–
15
मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी है जिसे बहरे-मीर के नाम
से
(22
22 22 22 22 22 22 2)
'फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा'
——————————————–
मेहनत की जब खुश्बू टपके परछाईं मुस्काती
है
थक कर उनकी बाँहों में तब
अंगड़ाई मुस्काती है
जब से तूने दिल को तोड़ा दिल का
लगाना छोड़ दिया
तेरी गलियों में भी अब तो आना
जाना छोड़ दिया
जाने कैसे होंगे
आंसू बहते हैं तो
बहने दो
भूली बिसरी बात पुरानी कहते हैं
तो कहने दो
—————————————–
16
इस बहर के कुछ रूप और देखें
22 22 22 22 22 2
फ़ेलुन फ़ेलुन
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा'
हक़ बातें तू हरगिज़ ना कह पाएगा
अहसानों के तले अगर दब जाएगा
हम जैसे पागल बहुतेरे फिरते हैं
आप भला क्यूँ बाल बिखेरे फिरते
हैं
दर - दर फिरते लोगों को दर दे
मौला
बंजारों को
भी अपना घर दे मौला
—————————————–
17
22 22 22 22
फ़ेलुन फ़ेलुन
फ़ेलुन फ़ेलुन
रात का जादू चल जाएगा
जिस दम सूरज ढल जाएगा
——————————————–
रजज़ मुसद्दस
मख़बून मर्फूअ मख्लूअ मुजाइफ
1212
212 122 //
1212 212 122
मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन
फऊलुन // मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फऊलुन
ग़मों की लज़्ज़त चुराके लेजा
मेरी मसर्रत चुराके लेजा
या ज़ौक़-ए-उल्फ़त चुराके लेजा या
दिल की हसरत चुराके लेजा
----ऊपर इस्तमाल किए गए तमाम
शे'र सलीम 'रज़ा' रीवा के हैं।
14. बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन
मक़्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12
इबादत की किश्तें चुकाते रहो
किराये पे है रूह की रौशनी
——————————————–
15. बहरे मुतदारिक मुसद्दस
सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212
सीढ़ियों पर बिछी है हयात
ऐ ख़ुशी! हौले-हौले उतर
——————————————–
16. बहरे मुतदारिक मुसम्मन
अहज़ज़ु आख़िर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212 212 212 2
अब उभर आयेगी उस की सूरत
बेकली रंग भरने लगी है
——————————————–
17. बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला
मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
1212 212 122 1212 212 22
बड़ी सयानी है यार क़िस्मत, सभी की बज़्में सजा रही है
किसी को जलवे दिखा रही है कहीं
जुनूँ आजमा रही है
——————————————–
18. बहरे रजज़ मुरब्बा सालि
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212
ये नस्ले-नौ है साहिबो
अम्बर से लायेगी नदी
——————————————–
19. बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून
मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन
2212 1212
क्या आप भी ज़हीन थे?
आ जाइये – क़तार में
——————————————–
20. बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212
मैं वो नदी हूँ थम गया जिस का
बहाव
अब क्या करूँ क़िस्मत में कंकर
भी नहीं
——————————————–
21. बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212 2212
उस पीर को परबत हुये काफ़ी
ज़माना हो गया
उस पीर को फिर से नयी इक
तरजुमानी चाहिये
——————————————–
22. बहरे रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122
मौत से मिल लो, नहीं तो
उम्र भर पीछा करेगी
——————————————–
23. बहरे रमल मुसद्दस मख़बून
मुसककन
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 22
सनसनीखेज़ हुआ चाहती है
तिश्नगी तेज़ हुआ चाहती है
——————————————–
24. बहरे रमल मुसद्दस सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122
ये अँधेरे ढूँढ ही लेते हैं मुझ
को
इन की आँखों में ग़ज़ब की रौशनी
है
——————————————–
25. बहरे रमल मुसम्मन मशकूल
सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन]
फ़यलात फ़ाइलातुन फ़यलात
फ़ाइलातुन
1121 2122 1121 2122
वो जो शब जवाँ थी हमसे उसे माँग
ला दुबारा
उसी रात की क़सम है वही गीत गा
दुबारा
—————————————–
26. बहरे रमल मुसम्मन सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
फ़ाइलातुन
2122 2122 2122 2122
कल अचानक नींद जो टूटी तो मैं
क्या देखता हूँ
चाँद की शह पर कई तारे शरारत कर
रहे हैं
——————————————–
27. बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222
हरिक तकलीफ़ को आँसू नहीं मिलते
ग़मों का भी मुक़द्दर होता है
साहब
——————————————–
29. बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर
मक़्बूज़, मक़्बूज़,
मक़्बूज़
फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
मुफ़ाइलुन
212 1212 1212 1212
लुट गये ख़ज़ाने और गुन्हगार
कोइ नईं
दोष किस को दीजिये जवाबदार कोई
नईं
——————————————–
30. बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212
गिरफ़्त ही सियाहियों को बोलना
सिखाती है
वगरना छूट मिलते ही क़लम बहकने
लगते हैं
——————————————–
31. बहरे कामिल मुसम्मन सालिम
मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
11212 11212 11212 11212
ये चमन ही अपना वुजूद है इसे
छोड़ने की भी सोच मत
नहीं तो बताएँगे कल को क्या
यहाँ गुल न थे कि महक न थी
——————————————–
32. बहरे मुतकारिब मुसद्दस
सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122
कहानी बड़ी मुख़्तसर है
कोई सीप कोई गुहर है
जब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे
बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
लब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे
बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
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