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रुखसार जहाँ में कोई ऐसा नही
होगा
उनसे भी हसीं चाँद का चेहरा नही होगा
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जो मेरे
दिलो जान को करता है मुअत्तर
गुलशन में
कोई फूल भी ऐसा नही होगा
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तुम चाँद
सितारों की चमक में रहे उलझे
तुमने मेरे
महबूब को देखा नही होगा
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है कौन जिसे
नूरे मुजस्सिम कहा जाए
कोई भी तो सरकार के जैसा नही होगा
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अल्लाह के
महबूब पे है ख़त्म नबूबत
अब कोई नबी
दुनिया में पैदा नही होगा
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है कौन भला सर पे बलाएं जो ले तेरी
कोई भी तो
मां बाप
के जैसा नही होगा
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दिल खोल
के करता है मुहब्बत जो किसी से
दुनिया मे रज़ा वो कभी
रुसवा नही होगा
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