जब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
लब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
तुम मेरे साथ हो, चांदनी रात हो, होंट की बात हो, ज़ुल्फ़ की बात हो
तब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
हम नहीं चाँद तारे ये काली घटा गूंचा ओ गुल ये बुलबुल ये महकी फिज़ा
सब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
हम गुनहगार है, हम सियह कार हैं, फिर भी रहमो करम पे यकी है हमें
जब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
ऐ 'रज़ा' दर – बदर हम भटकते रहे प्यार क्या, प्यार का इक निशाँ ना मिला
अब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
लब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
तुम मेरे साथ हो, चांदनी रात हो, होंट की बात हो, ज़ुल्फ़ की बात हो
तब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
हम नहीं चाँद तारे ये काली घटा गूंचा ओ गुल ये बुलबुल ये महकी फिज़ा
सब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
हम गुनहगार है, हम सियह कार हैं, फिर भी रहमो करम पे यकी है हमें
जब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
ऐ 'रज़ा' दर – बदर हम भटकते रहे प्यार क्या, प्यार का इक निशाँ ना मिला
अब, तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी
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सलीम रज़ा रीवा