Friday, March 13, 2020

बेटी बचाइए

बेटी से ये जहान है बेटी बचाइए
ये मान है सम्मान है बेटी बचाइए

पापा की लाडली हैं ये मम्मी की जान हैं
परियों सी हैं ये बेटियाँ कुनबे की शान हैं
औरत का हरिक रूप इन्हीं बेटियों से है
दुनिया का ये स्वरुप इन्हीं बेटियों से है
ये दो कुलों की शान है बेटी बचाइए

बेटी मे न बेटों में कोई फर्क़ जानिए
बेटी को भी बेटों की तरह ख़ूब मानिए
उसको पड़ा लिखा के होनहार कीजिए
बेटी को भी बेटों की तरह प्यार कीजिए
मां बाप की ये जान है बेटी बचाइए

सारी ये क़ायनात बदौलत इन्हीं से है
सारे जहाँ में फैली मोहब्बत इन्हीं से है
बेटी चमेली बनके चमन में महक रही
बातों से यूं लगे की है बुलबुल चहक रही
बेटी से ही मुस्कान है बेटी बचाइए

बेटी कही पे माँ कही बहना के रूप में
पत्नी बहु ये बनके निकलती है धूप में
हर क्षेत्र में सम्मान इन्हीं बेटियों से है
भारत मेरा महान इन्हीं बेटियों से है
बेटी वतन की शान है बेटी बचाइए

बेटी को मारिए न बहु को जलाइए
बेटी बहन किसी की हो इज़्ज़त बचाइए
बन कर बहू ये घर को ही मंदिर बनाएगी
मां बन के एक रोज़ ये ममता लुटाएगी
इससे ही हर इंसान है बेटी बचाइए

सलीम रज़ा रीवा

A 20 GAZLEN SALEEM RAZA REWA

  🅰️ 20 ग़ज़लें  01 मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन  1212 1122 1212 22 ——— ——— —— —— ———- हर एक शय से ज़ि...