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Thursday, December 26, 2019

ऐ मेरे दोस्त मोहब्बत को बचाए रखना - सलीम रज़ा


ऐ मेरे दोस्त मोहब्बत को बचाए रखना   
दिल में ईमान की शम्अ' को जलाए  रखना 
ꣻ   
इस नए साल में खुशियों का चमन खिल जाए
सबको मनचाही  मुरादों का सिला मिल जाए 
इस नए साल में खुशियों की हो बारिश घर घर
इस नए साल को ख़ुश रंग बनाए रखना
ꣻ    
जान पुरखों ने लुटाई है वतन की ख़ातिर 
गोलियाँ सीने में खाई है वतन की ख़ातिर
सारे धर्मों से ही ताक़त  है वतन  की मेरे 
सारे धर्मों की मोहब्बत को बनाए रखना
ꣻ    
ज़ात के नाम पे दंगों को कराने वालो
बाज़ आ जाओ मोहब्बत को मिटाने वालो
धर्म के नाम पे यूँ आग लगाने वालो
ख़ुद के दामन को भी जलने से बचाए रखना
ꣻ  
क्यूँ मिटाने में लगे हो ये चमन की ख़ुश्बू
ख़ून से सींचा तो पाई है वतन की ख़ुश्बू 
हर तरफ जलने लगा है ये वतन का आंचल 
लाज इस मां की मेरे यार बचाए रखना 
ꣻ   
सारी दुनियां में मोहब्बत की ज़बाँ हो जाए 
सारी दुनियां में ख़ुशी अम्न--अमाँ हो जाए
भूल कर भी न कोई भूल हो हरगिज़ हमसे 
हम पे भी नज़रे करम अपनी बनाए रखना 
ꣻ  
दिल से नफ़रत की दीवारों को गिराना होगा 
दोस्त बनकर के गले सबको लगाना होगा 
जिसकी ख़ुश्बू से महक जाए सभी का आँगन 
ऐसे फूलों को भी गुलशन में  लगाए रखना
ꣻ 
salim raza rewa  #salimazarewa

Saturday, November 3, 2018

अन-गिनत फूल मोहब्बत के चढ़ाता जाऊँ - सलीम रज़ा रीवा SALIM RAZA REWA


अन-गिनत फूल मोहब्बत के चढ़ाता जाऊँ
आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ

oo
जाने इस शहर में फिर लौट के कब आऊँगा

पर ये वादा है तुझे भूल नहीं पाऊंगा

तेरी तस्वीर को आँखो में बसाता जाऊँ

आख़िरी बार गले..................... 

oo
साथ मिलकर जो गुज़ारे थे हसीं रातो दिन
जाने गुजरेंगे भला कैसे अब तुम्हारे बिन
अब इसी याद के तूफ़ां में समाता जाऊँ 

आख़िरी बार गले..................... 

oo
तेरी प्यारी सी छुअन जिस्‍म मुअत्तर कर दे

तेरे चेहरे की चमक रात को रोशन कर दे

तेरी शोखी तेरी रंगत को चुराता जाऊँ

आख़िरी बार गले.....................

oo
तेरे इस शहर में खुशीओं का बसेरा देखा
सुरमई शाम तो ख़ुश रंग सवेरा देखा
ऐसे लमहात को आँखों में सजाता जाऊँ

आख़िरी बार गले..................... 

oo
तेरी साँसों ने महकने की अदा बख़्शी है

तूने इस दिल को धड़कने की अदा बख़्शी है

तेरी यादों के दिए दिल में जलाता जाऊँ

आख़िरी बार गले..................... 

oo
तेरी तस्वीर को आँखो में छुपा रक्खी है
तेरी हर एक अदा दिल में बसा रक्खी है
अपनी साँसों में तेरी साँस मिलाता जाऊँ

आख़िरी बार गले..................... 

oo
मुझसे ख़ाबों में कभी मिलने मिलाने आना

चाँद सा चेहरा कभी मुझको दिखाने आना

तेरी आँखों की ज़रा नीद चुराता जाऊँ

आख़िरी बार गले.....................

oo
मेरे आँसू तेरी चाहत नहीं लिखने देते

कांपते हाथ हक़ीक़त नहीं लिखने देते

दर्द-ए-दिल तुमको मेरी जान सुनाता जाऊँ

आख़िरी बार गले.....................

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             सालिरज़ा रीवा 25/09/2018






Sunday, October 7, 2018

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन - SALIM RAZA REWA


हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए
वो ज़ुल्फ़ जो लहराएँ मौसम में निखार आए
oo
मदहोश हुआ दिल क्यूँ बेचैन है क्यूँ आँखें
रंगीन ज़माना क्यूँ महकी हुई क्यूँ सांसें
हूँ दूर मय-ख़ाने से फिर भी क्यूँ ख़ुमार आए
oo
बुलबुल में चहक तुम से फूलों में महक तुम से
तुम से ये बहारे हैं सूरज में चमक तुम से
रुख़्सार पे कलियों के तुम से ही निखार आए
oo
बस इतनी गुज़ारिश है बस इतनी सी चाहत है
जिन जिन पे इनायत है जिन जिन से मोहब्बत है
उन चाहने वालो में मेरा भी शुमार आए
oo
गुलशन में बहारों की इक सेज लगाया है
फूलों को सजाया है पलकों को बिछाया है
ऐ बाद-ए-सबा कह दे अब जाने बहार आए
oo
मिल जाए कोई साथी हर ग़म को सुना डालें
जीवन के हर इक लम्हें खुशिओं से सजा डालें
बेचैन 'रज़ादिल है पल भर को क़रार आए

A 20 GAZLEN SALEEM RAZA REWA

  🅰️ 20 ग़ज़लें  01 मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन  1212 1122 1212 22 ——— ——— —— —— ———- हर एक शय से ज़ि...