Wednesday, October 11, 2023

'रज़ा' जी आप तो मिलकर उदास बैठे हैं - SALIM RAZA



जो मेरी छत पे कबूतर उदास बैठे हैं
वो तेरी याद में दिलबर उदास बैठे हैं

तुम्हारी याद के लश्कर उदास बैठे हैं
हसीन ख़्वाब के मंज़र उदास बैठे हैं

माम गालियाँ हैं ख़ामोश तेरे जाने से
तमाम राह के पत्थर उदास बैठे हैं

बिना पिए तो सुना है उदास रिंदों को           
मियाँ जी आप तो पी कर उदास बैठे हैं


ज़रा सी बात ने रिश्तों को कर दिया घायल
ज़रा सी बात को लेकर उदास बैठे हैं

तेरे बग़ैर हर एक शय की आँख पुरनम है 
हमी नहीं मह-ओ-अख़्तर उदास बैठे हैं  

तमाम शहर तरसता है उनसे मिलने को
'रज़ा' जी आप तो मिलकर उदास बैठे हैं  
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                  सली रज़ा रीवा

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A 20 GAZLEN SALEEM RAZA REWA

  🅰️ 20 ग़ज़लें  01 मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन  1212 1122 1212 22 ——— ——— —— —— ———- हर एक शय से ज़ि...