Friday, November 10, 2017

नाराज़गी है कैसी भला ज़िन्दगी के साथ - SALIM RAZA REWA

जीने की आरज़ू तो है सब को खुशी के साथ
ग़म भी लगे हुए हैं मगर ज़िन्दगी के  साथ
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नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ
दिल में उतर  गया वो बड़ी सादगी के साथ  
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आएगा मुश्क़िलों में भी जीने का फ़न तुझे
कूछ दिन गुज़ार ले तू मेरी ज़िदगी के साथ
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ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में
यूँ ही नहीं है  प्यार हमें  शायरी के साथ 
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अच्छी तरह से आपने जाना नहीं जिसे
यारी कभी न कीजिये उस अजनबी के साथ
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मुश्किल में कैसे जीते हैं यह उनसे पूछिये
गुज़रा है जिनका वक़्त सदा मुफ़लिसी के साथ
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उसपर न ऐतबार  कभी कीजिए  " रज़ा 
धोका किया है जिसने हमेशा सभी के साथ

221 2121 1221 212
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़

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A 20 GAZLEN SALEEM RAZA REWA

  🅰️ 20 ग़ज़लें  01 मुज्तस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ मस्कन मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन  1212 1122 1212 22 ——— ——— —— —— ———- हर एक शय से ज़ि...