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बातों ही बातों में उनसे प्यार हुआ.
बातों ही बातों में उनसे प्यार हुआ.
ये मत पूछो
कैसे कब इक़रार हुआ
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जब से आँखें उनसे मेरी चार हुईं.
तब से मेरा जीना भी दुश्वार हुआ
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वो शरमाएँ जैसे शरमाएँ कलियाँ.
रफ्ता रफ्ता चाहत का इज़हार हुआ
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दिल की बातें वो ऐसे पढ़ लेता है.
दिल न हुआ जैसे कोईअख़बार हुआ
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उनसे ही खुशियाँ है मेरे आंगन में.
उनसे ही रौशन मेरा घर बार हुआ
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आँखों में बस उनका चेहरा दिखता है.
शोख़ हसीना का जब से दीदार हुआ
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Gazal by salimrazarewa
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