Thursday, November 8, 2018

गीत -सलीम रज़ा रीवा SALIM RAZA REWA


01

“मोहब्बत के फूल”


अनगिनत फूल मोहब्बत के चढ़ाता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…

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तेरी साँसों ने महकने की अदा बख़्शी है

तू ने इस दिल को धड़कने की अदा बख़्शी है

तेरी यादों के दिये दिल में जलाता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…

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तेरी तस्वीर निगाहों में बसा रक्खी है

तेरी हर एक अदा दिल में छुपा रक्खी है

अपनी साँसों में तेरी साँस मिलाता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…

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मुझसे ख़्वाबों में कभी मिलने-मिलाने आना

चाँद सा चेहरा कभी मुझको दिखाने आना

सोचता हूँ ये तुझे याद दिलाता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…

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साथ मिलकर जो गुज़ारे थे कभी रात और दिन

जाने गुज़रेंगे भला कैसे ये अब तेरे बिन

अब इसी याद के तूफ़ाँ में समाता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…

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जाने इस शह्र में फिर लौट के कब आऊँगा

पर ये वादा है तुझे भूल नहीं पाऊँगा

तेरी तस्वीर को आँखों में बसाता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…

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तेरे इस शह्र में ख़ुशियों का बसेरा देखा

सुरमई शाम, तो ख़ुश-रंग सवेरा देखा

ऐसे लम्हात को आँखों में सजाता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…

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तेरी प्यारी सी छुअन रूह मु‘अत्तर रक्खे 

तेरे चेहरे की चमक मुझको मुनव्वर रक्खे

तेरी शोख़ी तेरी रंगत को चुराता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…

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मेरे आँसू ग़मे-फ़ुर्क़त नहीं लिखने देंगे 

काँपते हाथ हक़ीक़त नहीं लिखने देंगे 

तुझको रुदादे-‘रज़ा’ आज सुनाता जाऊँ

आख़िरी बार गले तुझ को लगाता जाऊँ…


02


“मेरे दिल”

 

मेरे दिल कहीं और चल, 

ज़माने में तेरा ठिकाना नहीं

मेरे दिल कहीं और चल, ज़माने….

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वफ़ा तू करेगा मिलेंगी जफ़ाएँ

ज़माने की ऐसी लगी बद्दु’आएँ

नज़र तू उठा कर नहीं जी सकेगा

तू ज़ह्रे-जुदाई नहीं पी सकेगा

मेरे दिल न इतना मचल, 

के रो-रो के जाँ को गवाँना नहीं

मेरे दिल कहीं और चल, ज़माने….

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तुझे तेरे अपने ही छलने लगे हैं

तेरे सारे सपने बिखरने लगे हैं

अरे बे-ख़बर इतना हैरान क्यूँ  है

ज़माने से इतना परेशान क्यूँ है

मेरे दिल तू ख़ुद को बदल, 

तड़प कर यूँ दिल को जलाना नहीं

मेरे दिल कहीं और चल, ज़माने….

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तेरे प्यार ने तुझको धोका दिया है

सुना है कोई उसका साथी नया है

मगर तेरे बिन कैसे ख़ुश वो रहेगा 

तुझे याद कर-कर वो तड़पा करेगा 

मेरे दिल तू अब तो सम्हल, 

जफ़ाओं को उसकी भुलाना नहीं

मेरे दिल कहीं और चल, ज़माने….


03


“ बेटी 

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बेटी से ख़ुश-नुमा है ये संसार दोस्तो

रौशन इसी से आज हैं घर-बार दोस्तो

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बेटी कहीं पे माँ कहीं  बहना के रूप में

पत्नी, बहू ये बन के झुलसती है धूप में

हर सुब्ह से ये शाम तलक घर सँवारती

बच्चों के रूप-रंग को हर दम निखारती

ये तो अजब निभाती है किरदार दोस्तो

बेटी से ख़ुश-नुमा है ये ….

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जितनी है काइनात में रंगत इसी से है

सारे जहाँ में फैली मोहब्बत इसी से है

चंपा-चमेली बनके चमन में महक रही

बोले तो लगता जैसे के बुलबुल चहक रही

इससे मिला है सबको सदा प्यार दोस्तो 

बेटी से ख़ुश-नुमा है ये ….

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अपने पति के साथ ये बनवास में रही

जंगल में भूख-प्यास का हर कष्ट भी सही

इज्ज़त भी ये दिलाएगी, शुहरत दिलाएगी

बनकर ये माँ दु’आओं से जन्नत दिलाएगी

इसकी दु’आ में ख़ुशियों का अम्बार दोस्तो

बेटी से ख़ुश-नुमा है ये ….


04

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सपनों की रानी

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मेरी ख़ातिर वो सजती है, मेरी ख़ातिर सँवरती है

वो इक नट-खट सी लड़की है, जो मुझसे प्यार करती है


वो ही मेरी हक़ीक़त है, वो ही मेरी  कहानी है

वो इक मा'सूम-सा चेहरा जो मेरी ज़िंदगानी है 


हर इक लम्हा वो मिरे ‘इश्क़ में मदहोश रहती है

मैं ग़ुस्से में भी आ जाऊँ, तो वो ख़ामोश रहती है 


मिरी तस्वीर को अपने वो डी.पी. में लगाती है

वो मेरा ज़िक्र अपनी हर सहेली को सुनाती है 


कभी ‘बाबू’, कभी ‘सोना’, कभी वो ‘जान’ कहती है

बड़ी पगली दिवानी है, मुझी में खोई रहती है


ये दिल बेचैन रहता है, अगर वो दूर जाती है

ये आँखें भीग जाती हैं, जब उसकी याद आती है 


यही बस मेरी ख़्वाहिश है, वो मेरी ज़िंदगानी हो

यही रब से दुआ है, वो मेरे सपनों की रानी हो


05

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“ आशिक़ी 

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‘आशिक़ी - ‘आशिक़ी, ‘आशिक़ी - ‘आशिक़ी

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तू मेरी हँसी, तू मेरी  ख़ुशी, तू ही ‘आशिक़ी है

तू ही हम-नशीं, तू ही आख़िरी, तू ही ज़िंदगी है

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मेरा दिल पे नहीं अब क़ाबू है, क़ाबू है, क़ाबू है

तेरे ‘इश्क़ का मुझपे जादू है, जादूi है, जादू है

दिल बेक़रार, जाने बहार  कर ले तू प्यार, आजा

ऐ मेरे यार, तुझ पे निसार  खुशियाँ हज़ार, आजा


‘आशिक़ी - ‘आशिक़ी, ‘आशिक़ी - ‘आशिक़ी

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ये दिल मेरा दीवाना है, दीवाना है, दीवाना है

ये पागल है, मस्ताना है, मस्ताना है, मस्ताना है

पतली कमर है, बाली उमर है, क़ातिल नज़र है आजा

सबसे हसीं तू, कमसिन कली तू, सबको ख़बर है  आजा


‘आशिक़ी - ‘आशिक़ी, ‘आशिक़ी - ‘आशिक़ी


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तेरी बिखरी ज़ुल्फ़ें नागन सी, नागन सी, नागन सी

तेरे बदन की ख़ुशबू मधुबन सी, मधुबन सी, मधुबन सी

नागन सी चाल, मदहोश हाल कर दे न ये दिवाना

ये है ख़याल, क्या होगा हाल  देखेगा जब ज़माना


‘आशिक़ी - ‘आशिक़ी, ‘आशिक़ी - ‘आशिक़ी


✅06


“ हँसते - हँसते ” 

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साँसों के रस्ते तुम हँसते-हँसते दिल में समाने लगे हो

ख़्वाबों के रस्ते तुम हँसते-हँसते दिल में समाने लगे हो 

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बिना अब तुम्हारे नहीं चैन पाऊँ

ये मुमकिन नहीं मैं तुम्हें भूल जाऊँ

मैं तनहाइयाँ अपनी ऐसे बिताता 

तसव्वुर में तुमको गले से लगाता 

बाहों के रस्ते तुम हँसते-हँसते दिल में समाने लगे हो 

साँसो के रस्ते तुम हँसते-हँसते ……..

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तुम्हीं मेरी धड़कन, तुम्हीं हर ख़ुशी हो 

तुम्हीं मेरी साँसें, तुम्हीं ज़िन्दगी हो 

मेरे ख़ुश-नुमा हर सवालों में तुम हो

निगाहों में तुम हो ख़यालों में तुम हो

आँखो के रस्ते तुम हँसते-हँसते, दिल में समाने लगे हो

साँसों के रस्ते तुम हँसते-हँसते ………

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निगाहें मिलाकर निगाहें चुराना

वो  मा’सूम चेहरे से जादू चलाना

वो कमसिन अदाएँ बहुत सारी बातें

मुझे याद हैं सारे दिन  सारी रातें

यादों के रस्ते तुम हँसते-हँसते,दिल में समाने लगे हो 

साँसों के रस्ते तुम हँसते-हँसते ………


✅07


“मय-ख़ाना”


तू जो नज़रों से पिलाए तो पियूँगा दिलबर

तेरी आग़ोश में सो जाऊँगा ये मय पीकर


जाम पे जाम चले, सुब्ह से शाम चले

तेरा भी नाम चले, मेरा भी काम चले

जाम पीने दे मुझे, ख़ुद में जीने दे मुझे 

ग़म भुलाने दे मुझे, ज़ख़्म खाने दे मुझे

मुझको जीना है सनम तेरी मोहब्बत बनकर

तेरी आग़ोश में सो जाऊँगा ये मय पीकर……


दिल है ख़ामोश मेरा, कोई हलचल कर दे 

मुझको दीवाना बना, मुझको पागल कर दे 

बे-ख़तर जाम पिला, सुब्ह से शाम पिला 

जब तलक होश रहे, जाने-मन जाम पिला

होटों के जाम पिला, मेरी दिवानी बनकर 

तेरी आग़ोश में सो जाऊँगा ये मय पीकर…….


साक़िया पूछो ज़रा, क्या है पीने का मज़ा

बिन पिए रह न सकें, दर्दो-ग़म सह न सकें

तेरी चाहत में सनम, लड़खड़ाते हैं क़दम

मुझको डर है कि कहीं, टूट जाए न क़सम

मैं तेरे ‘इश्क़ में मर जाऊँ न पागल होकर

तेरी आग़ोश में सो जाऊँगा ये मय पीकर…….


दिल ये कहता है मेरा, मय-कदा जाना है

पर मेरी जान तू तो, ख़ुद ही मय-ख़ाना है

‘इश्क़ में तेरे सनम, ये जवानी गुज़रे

तेरी उल्फ़त में सनम, ज़िंदगानी गुज़रे

होश में आऊँगा मैं जाम-ए-मोहब्बत पीकर

तेरी आग़ोश में सो जाऊँगा ये मय पीकर…….


08

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दिल में चाहत के चराग़ों को जलाए रखना

ऐ मेरे दोस्त, मोहब्बत को बचाए रखना


इस नए साल में ख़ुशियों का चमन खिल जाए

सबको मनचाही मुरादों का सिला मिल जाए

इस नए साल में ख़ुशियों की हो बारिश घर-घर

इस नए साल को ख़ुश-रंग बनाए रखना

दिल में चाहत के चराग़ों को …………..


पुरखों ने जानें लुटाई हैं वतन की ख़ातिर

सीनों पे गोलियाँ खाई हैं वतन की ख़ातिर

सारे मज़हब से ही ताक़त है वतन की अपने

सारे मज़हब की मोहब्बत को बनाए रखना

दिल में चाहत के चराग़ों को …………..


जाति के नाम पे दंगों को कराने वालो

बाज़ आ जाओ मोहब्बत को मिटाने वालो

धर्म के नाम पे यूँ आग लगाने वालो

ख़ुद के दामन को भी जलने से बचाए रखना

दिल में चाहत के चराग़ों को …………..


क्यों मिटाने पे तुले हो ये चमन की ख़ुशबू

ख़ून से सींच के पाई है वतन की ख़ुशबू

हर तरफ़ जलने लगा है ये वतन का आँचल

लाज इस माँ की, मेरे यार! बचाए रखना

दिल में चाहत के चराग़ों को …………..


हमको नफ़रत के अंधेरों को मिटाना होगा

प्यार का दीप हर इक दिल में जलाना होगा

जिनकी ख़ुशबू से महक जाए ज़माना सारा 

ऐसे फूलों को भी गुलशन में लगाए रखना

दिल में चाहत के चराग़ों को …………..


आम दुनिया में मोहब्बत की ज़बाँ हो जाए

सारी दुनिया में ख़ुशी, अम्न-ओ-अमाँ हो जाए

ऐ ख़ुदा! इश्क़-ओ वफ़ा प्यार की बारिश करके

मेरे भी देश को ख़ुशहाल बनाए रखना

दिल में चाहत के चराग़ों को …………..


09

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दिल में बसा है तेरा प्यार गोरिए 

कर लेने दे मुझे दीदार गोरिए

सपनों में आ के क्यों मुझे तड़पाती है

अपना बना ले दिलदार गोरिए

दिल में बसा है तेरा ………….


जानाँ तेरे दिल को बे-क़रार करूँगा

जी भर के तुझे आज प्यार करूँगा

तेरे लिए चाँदनी की सेज बिछा दूँ

चाँद-सितारों से तेरी माँग सजा दूँ

तुझ पे ये ज़िंदगी निसार गोरिए

कर लेने दे मुझे दीदार गोरिए


पतली कमर यूँ न ऐसे बल खा

सोंडा-सोंडा मुखड़ा न हाथों में छुपा

सजनी दिवानी यूँ न अँखियाँ चुरा

जियरा में मुझको तू अपने  बसा

आए मेरे दिल को क़रार गोरिए

कर लेने दे मुझे दीदार गोरिए


तेरे सोंडे मुखड़े ने ऐसा किया जादू

दिल पे  मेरा अब नहीं रहा क़ाबू 

मुझ सा दिवाना तू न पाएगी दिवानी

तुझ पे निसार किया सारी ज़िंदगानी

किया नहीं जाता इंतज़ार गोरिए

कर लेने दे मुझे दीदार गोरिए 


10


हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए

वो ज़ुल्फ़ जो लहराएँ मौसम में निखार आए


मदहोश हुआ दिल क्यूँ बेचैन है क्यूँ आँखें

रंगीन ज़माना क्यूँ  महकी हुई क्यूँ साँसें

हूँ दूर मय-ख़ाने से फिर क्यूँ ऐ ख़ुमार आए

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन………….


शाख़ों में लचक तुमसे बुलबुल में चहक तुम से

गुलशन की अदा तुम से फूलों में महक तुम से

रुख़्सार पे कलियों के तुम से ही निखार आए

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन………….


मेरी इतनी गुज़ारिश है मेरी इतनी सी चाहत है

जिन्हें तुमसे मुहब्बत है जिन्हें तुमसे अक़ीदत है 

उन चाहने वालो में मेरा भी शुमार आए

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन………….


गुलशन में बहारों की इक सेज लगाया है

फूलों को सजाया है पलकों को बिछाया है

ऐ बाद-ए-सबा कह दे अब जाने-बहार आए

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन………….


मिल जाए कोई साथी ग़म अपने सुना डालूँ 

जीवन के हर इक लम्हें ख़ुशियों से सजा डालूँ

बेचैन ‘रज़ा’ दिल है पल भर को क़रार आए

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन………….


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salim raza rewa  #salimazarewa


सलीम रज़ा रीवा

मेरे अपने कर रहे हैं, साथ मेरे छल बहुत salim raza reaa

मेरे  अपने  कर  रहे  हैं  साथ  मेरे  छल  बहुत ये घुटन अब खाए जाती है मुझे हर पल बहुत बज रही है कानों में अब तक तेरी पायल बहुत तेरी  यादें  क...